Wednesday, August 24, 2011

तू ही है...


तू है... तू ही है...हाँ तू ही तो है...

गुफ्तगू में, मेरी जुस्तजु में,
तू है, तू ही है...
आबरू में, मेरी आरजू में,
तू है, तू ही तो है...

आन में, मेरी शान में,
तू है, तू ही है...
जान में, मेरे जहान में,
तू है, तू ही तो है...

जज़बात में, हर बात में
तू है, तू ही है...
साथ में, दिन रात में
तू है, तू ही तो है...

नैन में, नैन के चैन में,
तू है, तू ही है...
मेरे ज़हन में, रहन-सहन में,
तू है, तू ही तो है...

विश्वास में, हर एक श्वास में
तू है, तू ही है...
आस में, जीने की प्यास में
तू है, तू ही तो है...

अरमान में, मेरी मुस्कान में,
तू है, तू ही है...
ईमान में, मेरे भगवान में,
तू है, तू ही तो है...

तू है... तू ही है...हाँ तू ही तो है...

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